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370 बना इतिहास, केंद्र के फैसले से देश भर में जश्न का माहौल

डेस्क

15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह 5 अगस्त 2019 की तिथि भी इतिहास में दर्ज हो गई है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक भूल को नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुधार दिया । भारत और कश्मीर के माथे पर धारा 370 और 35a का जो कलंक लगा था, उस कलंक को सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने मिटा दिया ।

जिसके बाद देश में एक साथ होली और दिवाली मनाई जाने लगी। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में जारी गतिविधियों से लोग यह अंदाजा लगा रहे थे कि कश्मीर में कुछ तो बड़ा होने वाला है। लोग हालांकि धारा 370 और 35a को हटाए जाने का भी कयास लगा रहे थे, लेकिन उम्मीद नहीं थी कि इतनी आसानी के साथ अमित शाह सदन में यह प्रस्ताव पेश करेंगे और विपक्ष चारो खाने चित्त हो जायेगा। एक झटके से इस विवादित कानून को खत्म कर दिया गया । इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर राज्य के भी दो टुकड़े कर दिए गए हैं । सोमवार को राज्यसभा में गृह मंत्री ने घोषणा की, जिसके तहत धारा 370 के खंड 1 के अलावा सभी धाराओं को खत्म कर दिया गया है। इसी के साथ जम्मू कश्मीर को हासिल विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया गया और यहां के नागरिकों की दोहरी नागरिकता भी खत्म हो गई ।

अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, जिसकी अपनी विधानसभा होगी। वही लद्दाख को पृथक से केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है लेकिन लद्दाख की अपनी विधानसभा नहीं होगी। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जो ऐतिहासिक गलती हुई थी उसे सुधारते हुए सचमुच 5 अगस्त को कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाया गया है। अब जम्मू कश्मीर का पृथक झंडा नहीं रहेगा ।अब तक जम्मू कश्मीर के लोग आयकर नहीं देते थे। अब यहां आयकर विभाग और सूचना के अधिकार का कानून भी लागू होगा। कोई भी भारतीय यहां अब संपत्ति ले सकेगा और कश्मीर की लड़की का विवाह देश के किसी भी व्यक्ति के साथ मुमकिन होगा। जम्मू और कश्मीर का अलग संविधान हटने के साथ ही देश भर में जश्न का माहौल दिखाई देने लगा है। दरअसल समझौते के नाम पर धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे और यही विशेष अधिकार उन्हें इस देश से अलग करती थी। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश एक विधान के नाम पर अपनी कुर्बानी दी और उनकी कुर्बानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जाया नहीं होने दिया। अब तक जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता हुआ करती थी। उनका अपना अलग से राष्ट्रध्वज था। जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष हुआ करता था जो अब 5 वर्ष का हो गया है ।पहले जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज और राष्ट्र प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता था ,लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा । भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश भी जम्मू कश्मीर में मान्य नहीं होते थे।

भारत की संसद जम्मू कश्मीर के संबंध में कुछ विशेष मामलों में ही कानून बना सकती थी । खास बात यह थी कि अगर जम्मू कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के नागरिक से विवाह कर लेती थी तो उसकी नागरिकता स्वयं समाप्त हो जाती थी लेकिन हैरानी इस बात की है कि अगर वह पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर लेती थी तो उसकी नागरिकता तो नहीं जाती थी उलटे पाकिस्तानी को जम्मू कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। इससे बढ़कर काला कानून और क्या हो सकता था। जम्मू कश्मीर में धारा 370 की वजह से सीएजी के कानून भी लागू नहीं हो पाते थे। आज भी महिलाओं पर शरीयत के कानून चला करता था। यहां पर पंचायत को कोई अधिकार नहीं था। कश्मीर में अल्पसंख्यकों को आरक्षण भी नहीं हासिल था। धारा 370 की वजह से देश का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता था। विवादित धारा 370 के हीं चलते कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाती थी। अब तक यह कहा जाता था कि धारा 370 और 35a को हटाना नामुमकिन है लेकिन अमित शाह ने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आर्टिकल 370 समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। इसी के साथ अपने आप 35a भी समाप्त हो गया। धारा 370 को कश्मीर की जनता के लिए विशेष अधिकार बताया जाता था लेकिन असल में यही बेड़ी कश्मीर के विकास की राह की बाधा बनती थी। धारा 370 की वजह से ना तो कश्मीर में निवेश मुमकीन था और ना ही उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध हो पाता था। इसीलिए यहां विकास हुआ ही नहीं। जम्मू कश्मीर पूरी तरह भारत के रहमों करम पर चलने वाला राज्य बन गया था। यहां के लोग टैक्स नहीं देते थे लेकिन यही लोग भारत के टैक्स पर पलते थे और भारत विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त थे। मोदी सरकार ने इस ऐतिहासिक फैसले के साथ एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। विरोधी भी उनके इस फैसले से चारों खाने चित नजर आ रहे हैं ।छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। सपा और बसपा ने भी इस फैसले पर साथ दिया है लेकिन हैरान करते हुए नीतीश कुमार की पार्टी , कॉन्ग्रेस, तृणमूल कांग्रेस ,एनसीपी, डीएमके टीडीपी जैसे विरोधियों के खेमे में नजर आए। बिलासपुर में भी इस ऐतिहासिक फैसले से हर तरफ खुशी की लहर दौड़ पड़ी। लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनके खाते में इस फैसले से 15 लाख र रुपए आ गए है। 15 अगस्त से पहले ही हर तरफ देशभक्ति की लहर नजर आने लगी है। बिलासपुर में जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के सदस्यों ने भी इस बहुप्रतीक्षित फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक और साहसिक कदम बताया।

बिलासपुर के राजनीतिज्ञों ने इस पर अपनी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के नेताओं ने जहां इसे एक महान उपलब्धि करार दिया वहीं कांग्रेस के नेता अटल श्रीवास्तव ने भी इस प्रस्ताव का स्वागत किया है लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा की इस फैसले को लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों की सहमति लेनी चाहिए थी वही नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन इस फैसले के विरोध में नजर आए। जिन्होंने फैसला लेने से पहले जनमत संग्रह कराने की वकालत की और दावा किया कि इस फैसले से कश्मीर तबाह हो जाएगा और वहां बाहरी उद्योगपति कश्मीर के जंगलों को बर्बाद कर देंगे

370 पर मोदी सरकार के बड़े फैसले के बाद विरोधी खेमे से भी कराहटे सुनाई पड़ रही है। महबूबा मुफ्ती ने इसे असंवैधानिक बताया तो वही उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस फैसले से हंगामा मच जाएगा ।कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी इसे भाजपा का अहंकार बता रहे हैं । हैरानी इस बात की है कि जनप्रतिनिधि होने के बावजूद इन नेताओं को जन भावना की परवाह नहीं है। यही नेता रोज कहते थे कि दम है तो धारा 370 हटा कर दिखाओ और जब सचमुच यह वक्त आया तो ये ही ईसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं ।यही वजह है कि सोशल मीडिया पर ऐसे नेताओं की लोग जमकर खबर लेते भी देखे जा रहे हैं । सोमवार को सोशल मीडिया पर धारा 370 ट्रेंड करता रहा । हर तरफ जश्न का माहौल है। बिलासपुर के भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में भी जश्न मनाते हुए आतिशबाजी की गई और जयकारे लगाए गए ।नेताओं ने कहा की धारा 370 और 35a देश को बांट रही थी सदन में इसे लेकर दिन भर हंगामे की स्थिति भी नजर आई और पीडीपी के दो नेताओं ने अपना कुर्ता फाड़ कर विरोध भी दर्ज कराया। लेकिन यह आवाज नक्कारखाने में तूती बन कर रह गई। देशभर में जो जोश और जयकारे लग रहे हैं उसके आगे विरोधियों की इस आवाज के कोई मायने ही नहीं है । मोदी सरकार ने सावन के पहले सोमवार पर चंद्रयान की उपलब्धि हासिल की, दूसरे सोमवार को तीन तलाक का बिल पास कराया और तीसरे सोमवार को धारा 370 को समेट दिया। अब लोग कयास लगा रहे है कि न जाने सावन के अंतिम सोमवार पर मोदी सरकार क्या फैसला लेगी।

सोमवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने ऐतिहासिक ऐलान किया जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनने से रोकने वाली विवादित धारा 370 को हटाने का ऐलान किया । इससे पहले किए गए सुरक्षा उपायों का ही नतीजा है कि विरोध में एक पत्ता तक नहीं खडका।

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