अंतरराष्ट्रीय

क्या सचमुच कश्मीर में कुछ बड़ा होने वाला है ? क्या है मोदी और शाह की रणनीति?

डेस्क

मोदी कश्मीर में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं। इससे ज्यादातर लोग ये अनुमान लगा रहे हैं कि 15 अगस्त या उससे पहले ही धारा 370 और 35A हटने वाली है।

हालाँकि लोग चाहते हैं कि मोदी लगातार चौके छक्के जड़ता रहे पर मेरा मानना है कि मोदी को बहुत ज्यादा आक्रामक खेलने की जरूरत नहीं है और वो खेल भी नहीं रहे हैं। एक एक दो दो रन हर बॉल पर आते रहें तो काम चल जाएगा। उनके खेल की लय बता रही है कि वो यही सेफ गेम खेल रहे हैं। विश्व को उंगली उठाने का मौका नहीं देना चाहते।

तो बात कुछ यों है कि फौज का ये जमावड़ा धारा 370 के लिये नहीं बल्कि विधानसभा की सीटों के नए सिरे से परिसीमन के लिये हो रहा है। जैसा कि आप जानते हैं पूज्य लेंहडू चचा और उसके उत्तराधिकारी ये व्यवस्था करके गए थे कि मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी का वर्चस्व हिन्दू बहुल जम्मू और लद्दाख के ऊपर सदैव बना रहे इसलिये भेदभावपूर्वक जम्मू और लद्दाख के मुकाबले कश्मीर घाटी को विधानसभा की ज्यादा सीटें दे रखी थीं इसलिये विधानसभा में घाटी वाले अलगाववादियों का ही सदा बोलबाला रहा, और बाकि लोगों के हितों व आवाज को सदा दबाया जाता रहा। अब नए सिरे से परिसीमन करके ये व्यवस्था की जाएगी कि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों का सम्मिलित प्रतिनिधित्व कश्मीर घाटी से ज्यादा रहे। अब जाहिर है जब ये होगा तो फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा की पी डी पी और काँग्रेस के तो मुँह से निवाला ही छिन जाएगा। तो वो आसानी से तो ये होने नहीं देंगे…. तो ये सब सुरक्षा इंतजामात उसी के लिये है।

उसके बाद फिर होंगे विधानसभा चुनाव जिनमें भाजपा अकेले या पैंथर्स पार्टी के साथ मिलकर सत्ता में आएगी। उसके बाद J&K विधानसभा से ही 35A और 370 हटाने का विधेयक पारित कराकर पूरी दुनिया को ये समझाया जाएगा कि जी हम तो कश्मीरी जनता की माँग पर ही धारा 370 और 35A हटा रहे हैं।

कुछ समय पश्चात राज्यसभा में भी भाजपा बहुमत में आ जायेगी और राममंदिर मुद्दे में भी कोर्ट को जो कुछ करना है कर चुकेगी…. 99% तो तय मानकर चलिये कि फैसला अपने हित में ही आएगा तो 2021 के मध्य तक राममंदिर का काम चालू हो जाएगा और यदि 1% शेखुलर लोग अपना खेल खेलने में कामयाब हो जाते हैं तो वही होगा जो सब चाहते हैं। यानि संसद राममंदिर के पक्ष में कानून बनाएगी। उसमें शेखुलर लोग जितना ज्यादा चिल्ल पों मचाएंगे, भाजपा को उतना ही ज्यादा राजनैतिक फायदा होगा। पर किसी भी सूरत में 2023 के प्रारंभ तक राममंदिर का काम चालू हो जाएगा। फिर 2024 के इलेक्शन में जाने से पहले मोदी जी अंतिम वर्ष की राजनीति करेंगे उसके लिये या तो चुनावों से ऐन पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसँख्या नियंत्रण बिल आ सकते हैं या 2024 का चुनावी वायदा हो सकता है।

इस बीच यूरोप और अमेरिका आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुके होंगे जो अगले साल से सम्भावित है। ऐसे मुश्किल दौर में उन्हें भारतीय बाजार ही एकमात्र आशा की किरण के रूप में दिखाई देंगे। इसके चलते यूरोप और अमेरिका मोदी के नचाये नाचेंगे।

टैक्स की चोरी रोककर सरकार ने जो आर्थिक संसाधन जुटाए हैं वो इस मंदी से जूझने में हमारे बहुत मददगार साबित होंगे और उसी की सहायता से भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का तेजी से विकास होगा क्योंकि यही भारत को आर्थिक मंदी से भी बचाये रखेगा। इसमें नदियों को जोड़ना, डैम बनाना और नई जलविद्युत परियोजनाओं का विकल्प भी जुड़ सकता है, क्योंकि तब तक सड़कों व हाइवेज निर्माण की स्थिति काफी अच्छी हो चुकी होगी और इस क्षेत्रमें विकास की संभावनाएं कम हो जाएंगी। विश्व की अग्रणी कम्पनियों की टेक्नोलॉजी से रक्षा उपकरण निर्माण के कुछ उपक्रम भी देश में भी शुरू हो सकते हैं।
टेक्सला जैसी कम्पनियों की सहायता से इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में काफी संभावनाएं हैं। जनता को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिये आर्थिक सब्सिडी आदि देकर इसमें तेजी लाई जा सकती है। इससे अरब देशों की नसें और भी ढीली होंगी। क्योंकि तेल बेच बेचकर ही वो अय्याशियाँ कर रहे हैं और विश्व भर में आतंकवाद को पोषित कर रहे हैं।

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