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रफी की याद में संगीत निशा, सजी एक सुरमयी शाम

डेस्क

यूं तो भारतीय फिल्म जगत में ना जाने कितने पार्श्वगायक आए, गए। लेकिन अपनी मखमली आवाज के लिए मोहम्मद रफी हमेशा याद किए जाते रहे हैं, किए जाते रहेंगे। उन्होंने भारतीय फिल्म संगीत को जो योगदान दिया वह कभी नहीं भुलाया जा सकता। 31 जुलाई स्वर्गीय मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि पर पिछले 26 वर्षो की तरह इस बार भी कला संगम संस्कृति मंच बिलासपुर द्वारा संगीत निशा यादें का आयोजन राघवेंद्र राव सभा भवन में किया गया। बिलासपुर शहर के ख्याति लब्ध और उभरते गायक गायिकाओं ने स्वर्गीय रफी को अपनी स्वरांजलि अर्पित की।

मंच के गायक कलाकार गिरीश त्रिवेदी, तरुण शर्मा, मंजू राव , पटवारी,योग आनंद साहू ट्रैफिक हवलदार राकेश सिंह, आशीष, निशा सिंह के अलावा श्रद्धा, सुकृति, भावेश आशीष ने भी अपने गीतों से सबका दिल जीत लिया।

यहां प्रस्तुत किए गए खुशबू हूं मैं फूल नहीं, कोई जब राह बुलाए, बाहों में तेरी, रुत है मिलन की, दिल का भंवर करे पुकार , आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा, अभी ना जाओ छोड़ कर, दर्दे दिल दर्दे जिगर , तेरे मेरे सपने , कौन है जो सपनों में आया जैसे कालजयी गीत प्रस्तुत किए गए।

संगीत निशा यादें कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे और महापौर किशोर राय भी शामिल हुए, जिन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए स्वर सम्राट मोहम्मद रफी की बेमिसाल गायकी को याद किया

मंच द्वारा इस बार संगीत की दुनिया में समर्पित विशिष्ट 5 शख्सियतों का सम्मान भी किया गया। मंच के संस्थापक आलेख वर्मा, संयोजक अब्दुल अलीम दीपक जावलकर गिरीश त्रिवेदी भूपेश वैष्णव आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। देर रात तक शहर के संगीत प्रेमी यहां 10 कलाकारों द्वारा प्रस्तुत स्वरांजलि का लुफ्त लेते रहे।

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