कोटा

देवकी ने ठुकराया तो यशोदा ने लगाया गले

प्रवीर भट्टाचार्य

मां की ममता को कलंकित करने वाली एक घटना कोटा में हुई। एक निर्दयी मां ने अपने कलेजे के टुकड़े नवजात शिशु को न जाने किस विवशता के चलते सड़क किनारे मरने के लिए छोड़ दिया था, लेकिन कहते हैं न कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई। रात में कोटा से बिलासपुर जाने वाली सड़क पर अमने मोड़ के पास सड़क किनारे एक नवजात को रोते बिलखते देखकर राह चलते लोगों के कदम ठिठक गए। पहले तो लोगों ने आसपास नवजात बच्ची की मां को तलाशा ।

करीब दो-तीन दिन पहले जन्मी बच्ची को ना जाने किसने सड़क किनारे, झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ दिया था । अगर लोगों की निगाह उस पर ना पड़ती तो कोई कुत्ता या दूसरा जानवर उसे नोच नोच कर खा गया होता ,लेकिन किस्मत अच्छी थी कि सड़क किनारे रोती नवजात पर लोगों की निगाह पड़ गई और संवेदनशील लोगों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को भी दे दी।

जिस मासूम को ममता की छांव मिलनी चाहिए थी उसे उसकी निर्दयी मां ने हीं सड़क के किनारे किसी कूड़े की तरह फेंक दिया था। मां की ममता भले ही मर गई हो लेकिन इंसानियत आज भी जिंदा है। कोटा पुलिस को इसकी सूचना देने के साथ लोगों ने तत्काल नवजात बच्ची को सुरक्षित कपड़े में लपेटा और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, उसका कलेजा पिघल गया। लोग उस मां को कोसते नजर आए , जिसने बच्ची को जन्म तो दिया लेकिन ममता की छांव देने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। न जाने कौन मां है जो ऐसे शर्मनाक कृत्य को अंजाम देकर कहीं लापता हो गई। नन्ही सी बच्ची को उसकी देवकी ने तो ठुकरा दिया लेकिन उसे माता यशोदा की गोद नसीब हो गयी। जब कोटा पुलिस नवजात को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो यहां चिकित्सक डॉ डीपी ध्रुव ने प्रारंभिक जांच की और बच्ची को पूरी तरह स्वस्थ पाया, लेकिन नन्ही सी परी भूख से बिलख रही थी। उसका रुदन यही प्रसव कराने पहुंची कपसिया की सुमन बाई केवट से नहीं सहा गया। सुमन ने भी हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया था। उसके सीने में ममता हिलोरे ले रही थी। किसी और बच्चे को बिलखते देखना, उसके सीने पर हथौड़े बरसा रहा था। इसलिए उसने खुद आगे बढ़कर भूखी प्यासी नन्ही सी परी को अपने सीने से लगा लिया और उस भूखी बच्ची को अपनी छाती का दूध पिलाया। जिसने भी यह नजारा देखा उसकी आंखें भर आई।

निसंतान दंपतियों से पूछिए कि एक बच्चे के लिए वे किस कदर तरसते हैं, लेकिन इसी दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो बच्चों को पैदा तो कर लेते हैं लेकिन उन्हें पालने की हिम्मत नहीं जुटा पाते । अक्सर अवैध संबंध या फिर ऐसी ही किसी घटना की वजह से नवजात को इस तरह निर्दयी माता छोड़ देती है, जबकि वह चाहे तो ऐसे बच्चों को मातृछाया या किसी और आश्रम अथवा अस्पताल में छोड़ सकती है ,जहां बच्चे के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है। मगर इस तरह सड़क किनारे अपने कलेजे के टुकड़े को छोड़ना, मतलब उसे मौत के मुंह में धकेल देना है। पता नहीं कैसे एक मां होकर कोई ऐसा कर पाती है। एक तरफ जहां नवजात की मां ने निर्दयता की पराकाष्ठा का प्रदर्शन किया, वही सुमन बाई ने ममता की ऊंचाई दर्शायी। नयी मां की गोद में जाकर भूख से बिलखती नन्ही परी को सुरक्षा की छांव मिली तो फिर वह नींद के आगोश में समा गई । नवजात की स्थिति बेहतर होते ही उसे बिलासपुर चाइल्डलाइन भेज दिया गया है , जिसे जल्द ही किसी निसंतान दंपत्ति की गोद नसीब हो जायेगी।

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